पीठ पर चिंताओं की गठरी लादे बीवी-बच्‍चों संग अपने घर पहुंचे 1249 मजदूर

आवाम ए अजीज हिंदी साप्ताहिक


गोरखपुर बमुश्किल चार-पांच साल की एक बच्‍ची अपनी पीठ पर डेढ़ दो साल के मासूम को लादे प्‍लेटफार्म पर बढ़ी चली जा रही है। पीछे-पीछे चल रही है उसकी मां। मां के एक हाथ में पेटी और दूसरे हाथ से बनी गोद में छोटा बच्‍चा है। ये सब बुधवार की शाम गोरखपुर पहुंची चौथी श्रमिक स्‍पेशल से उतरे। यह ट्रेन सूरत से 1249 यात्रियों को लेकर यहां आई।



जितने यात्री उतनी कहानियां समेटे यह ट्रेन सूरत से चली तो मजदूरों और उनके परिवार के सदस्‍यों को एक नई लाइफ लाइन मिल गई। घर से डेढ़ हजार किलोमीटर दूर कोरोना लॉकडाउन में मुसीबत की मार झेल रहे ये परिवार अब भुखमरी की कगार पर पहुंचने लगे थे। खुद को बचाने का एक ही रास्‍ता दिख रहा था कि किसी तरह अपने गांव, अपने घर पहुंच जाएं। पहले और दूसरे लॉकडाउन के दौरान सब्र खोते अपने कई साथियों को इन्‍होंने पैदल, साइकिल या चोरी-छिपे ट्रक-पिकअप वगैरह से घर के लिए निकलते देखा। लेकिन इनकी हिम्‍मत नहीं पड़ी। उम्‍मीद थी कि शायद लॉकडाउन अपनी तय मियाद पर खत्‍म हो और सबकुछ पहले जैसा हो जाए। लेकिन देश में कोरोना मरीजों की बढ़ती तादाद और इसी के साथ लॉकडाउन के बढ़ते दिनों ने इनकी हिम्‍मत तोड़ दी। बेचैनी हद से बढ़ रही थी कि तभी सरकार ने श्रमिक स्‍पेशल चलाने का एलान कर दिया। चुनांचे यह ट्रेन भी सियासत का शिकार हो गई लेकिन मजदूरों और उनके परिवारवालों ने किसी बात पर कान नहीं दिया। जिसने जो कहा वो माना और ट्रेन में सवार हो गए। 


बुधवार की शाम गोरखपुर पहुंची ट्रेन में गोरखपुर और बस्‍ती सहित आसपास के दूसरे मंडलों के भी अप्रवासी मजदूर और उनके परिवारवाले थे। श्रमिकों का कहना था कि वे किराया चुकाकर आए हैं। कई ने टिकट भी दिखाए। स्‍टेशन पर वे ट्रेन से उतरे तो  बारी-बारी सबकी थर्मल स्क्रीनिंग की गई। नाम-पता दर्ज हुआ और आरोग्य सेतु डाउनलोड के बाद रोडवेज की बसों से उन्‍हें उनके गंतव्य की ओर रवाना कर दिया गया। इसमें यूपी रोडवेज की नि:शुल्‍क बसें काम आईं।


स्‍टेशन पर जीआरपी के जवान एक-एक यात्री को सैनेटाइज कर रहे थे। कुछ जवान यात्रियों और उनके परिवारवालों को चिप्स, नमकीन, बिस्किट और पानी की बोतलें भी दे रहे थे। सूरत के साथ ही सात बजे नाडियाड से श्रमिकों को लेकर दूसरी ट्रेन आई। इस ट्रेन को लेकर कुल पांच ट्रेनें अब तक चुकी हैं। गुरुवार को भी अलग-अलग राज्‍यों से श्रमिक स्पेशल आएंगी।


इससे पहले मुंबई के भिवंडी, वसई और नाडियाड से तीन श्रमिक स्पेशल ट्रेनें सोमवार-मंगलवार को बारी-बारी से 3242 श्रमिकों को लेकर गोरखपुर पहुंची थीं। बुधवार को चौथी ट्रेन गुजरात के नाडियाड से शाम पांच बजे प्लेटफार्म नंबर एक पर पहुंची। ट्रेन के आने के घंटों पहले स्थानीय प्रशासन,  रेल प्रशासन, स्वास्थ्य, आरपीएफ, जीआरपी और यूपी पुलिस के अधिकारी,कर्मचारी और जवानों ने तैयारी पूरी कर ली थी। कैब-वे में जिलेवार बसें लगाई गई थीं। प्लेटफार्म पर बारी-बारी से एक-एक कोच को खोलकर यात्रियों को अलग-अलग बैरिकेडिंग से गुजारा गया। सोशल डिस्टेसिंग बनाये रखने के लिए उन्‍हें प्लेटफार्म पर बने गोले में खड़ा किया गया।  इस दौरान हर यात्री की थर्मल स्क्रीनिंग की गई। नाम-पता नोट किया गया। जिनके पास एंड्राएड फोन थे उसमें आरोग्य सेतु डाउन लोड किया गया। हर मजदूर को एक-एक पैकेट चूड़ा-लाई भी दी गई। इसके बाद उन्‍हें जिलावार 25 से 30 की संख्या में रोडवेज की बसों से रवाना किया गया। इस दौरान देखरेख में एसपी रेलवे पुष्पांजलि, एडीएम सिटी, एडीएम (वित्त/राजस्व), सिटी मजिस्ट्रेट, एसपी ट्रैफिक, स्टेशन मैनेजर, इंस्पेक्टर जीआरपी, इंस्पेक्टर आरपीएफ, स्वास्थ्य विभाग के डॉक्‍टर सहित सुरक्षा बल और रेलवे कर्मचारी मौजूद थे।


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