मैं मुलायम सिंह यादव' फिल्म का मोशन पोस्टर हुआ रिलीज अगस्त में आयेगी फिल्म

आवाम ए अजीज हिंदी साप्ताहिक


संपादक की कलम से


उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की लाइफ पर बेस्ड फिल्म मैं मुलायम सिंह यादव का मोशन पोस्टर आज जारी कर दिया गया। करीब दो हफ्ते पहले फिल्म का टीजर रिलीज किया गया था।


मुंबई ( न्यूज़वीयर)। आने वाली फिल्म मैं मुलायम सिंह यादव के निर्माताओं ने सोमवार को इसका मोशन पोस्टर जारी कर दिया है। फिल्म के बॉलीवुड की अब तक की सबसे बेहतरीन राजनीतिक बायोपिक में से एक होने का दावा किया जा रहा है। एमएस फिल्म्स और प्रोडक्शंस के बैनर में बनी यह फिल्म 14 अगस्त, 2020 को रिलीज होनी है।


यूपी के फॉरमर सीएम मुलायम सिंह की कहानी


फिल्म में उत्तर प्रदेश में राजनीतिक पृष्ठभूमि के साथ, मुलायम सिंह यादव की किसान पुत्र होने से लेकर भारत सरकारी कैबिनेट में रक्षा मंत्री बन्ने और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने तक की कहानी दिखाई गई है। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव सफाई इटावा के किसान का बेटा कैसे अपने राज्य का सर्वोच्च नेता बनता है। इसी कहानी को लेकर आये हैं निर्देशक सुवेंदु घोष और निर्माता मीना सेठी मंडल अपनी फिल्म में जिसमें मुलायम सिंह यादव के लीड रोल में अमित सेठी नजर आयेंगे। उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के एक छोटे से गांव सैफई में एक किसान के बेटे ने अपने राज्य का सर्वोच्च नेता बनने के लिए कैसे ऑड सिचुएशन में स्ट्रगल किया और कैसे वो आगे बढ़ा इस सफर के बारे में ही फिल्म में बताया गया है।उत्तर प्रदेश के ऐसे धुरंधर नेता के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने साधारण परिवार से निकलकर प्रदेश और देश की सियासत में एक बड़ी पहचान बनाई। वह तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और एक बार देश के रक्षा मंत्री के रूप में सेवा दी। 22 नवम्बर, 1939 को इटावा जिले के छोटे से गांव सैफई में पैदा होने वाले मुलायम ने शुरुआती दिनों में शिक्षण कार्य किया। लेकिन लोहिया और उनके साथ के लोगों के संपर्क में आने के बाद सियासत की ओर रुख किया। लोकदल के विधायक के रूप में सियासत में कदम रखने वाले मुलायम ने 1992 में समाजवादी पार्टी की नींव रखी। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की जड़ें मजबूत करने में उनका अमूल्य योगदान माना जाता है। इस पार्टी ने प्रदेश में चार बार सरकार बनाई। तीन बार वह खुद मुख्यमंत्री रहे


पिता बनाना चाहते थे पहलवान


एक बेहद हंबल बैकग्राउंड को बिलांग करने वाले मुलायम सिंह के पिता चाहते थे कि वह एक पहलवान बनें, लेकिन उनके इरादे कुछ और थे। इसी दौरान कुश्ती के एक कंप्टीशन में, एक लोकल पॉलिटीशियन नाथूराम ने यंग मुलायम को देखा जिसने अपने से दोगुने आकार के पहलवान को धूल चटा दी।उसके दबंग अंदाज को देश कर नाथूराम ने उन्हें राजनीति में एंट्री करने का पहला मौका दिया।


लोहिया से मुलाकात


नाथूराम ने उन्हें उस दौर के देश के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक राम मनोहर लोहिया से मिलवाया, और करहल में एक टीचर की जॉब भी दिलवाने में मदद की लेकिन उनका मुख्य ध्यान राजनीति में ही रहा। लोहिया के लोगों को सामाजिक न्याय दिलवाने के मुद्दों और समानता पर दृढ़ विश्वास ने यादव को उनका सर्थक बना दिया। उन सिद्धांतों के आधार पर उनके कामों से इंस्पायर हो कर मुलायम सिंह ने अपने पॉलिटिकल करियर आगे बढ़ाने का फैसला किया।


राजनीति की समझ


लोहिया के जीवन में आने के बाद वे भारत के पूर्व प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह से मिले जिनसे उन्होंने राजनीति की बारीकियां सीखीं और जिसके बाद मुलायम सिंह यादव यूपी की राजनीति में एक बड़ा नाम बन गए। वे चौधरी चरण सिंह के राजनीतिक उत्तराधिकारी भीमाने जाते थे । नाथूराम, राम मनोहर लोहिया और चौधरी चरण सिंह 3 ऐसे स्तंभ थे जिन्होंने मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक ज्ञान को तैयार किया और उन्हें आकार दिया।


जीवन की संघर्ष से भरी कहानी


ये फिल्म एक स्कूल में शिक्षक से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने तक, एक ऐसे आदमी की यात्रा है जो आपातकाल के समय 19 महीने तक जेल में रहा था। यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसे उस दिन गोली मारी गई थी जब उसने अपना पहला चुनाव जीता था। यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसने दिग्गजों के बीच स्ट्रगल करते हुए अपना रास्ता बनाया। जब पूंजीवाद और नौकरशाही राजनीति के मुख्य स्तंभ थे, तो उन्होंने आकर पूरा सिनारियो चेंज कर दिया। उन्होंने बड़े राजनीतिक दलों और बड़े नामों के खेल को बदल कर रख दिया।


राजनीतिक दर्शन तथा विदेश यात्रा


मुलायम यादव की राष्ट्रवाद, लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्तों में अटूट आस्था रही है। भारतीय भाषाओं, भारतीय संस्कृति और शोषित पीड़ित वर्गों के हितों के लिए उनका अनवरत संघर्ष जारी रहा है। उन्होंने ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, जर्मनी, स्विटजरलैण्ड, पोलैंड और नेपाल आदि देशों की भी यात्राएँ की हैं। लोकसभा सदस्य कहा जाता है कि मुलायम उत्तर प्रदेश की किसी भी जनसभा में कम से कम पचास लोगों को नाम लेकर मंच पर बुला सकते हैं। समाजवाद के फ़्राँसीसी पुरोधा 'कॉम डी सिमॉन' की अभिजात्यवर्गीय पृष्ठभूमि के विपरीत उनका भारतीय संस्करण केंद्रीय भारत के कभी निपट गाँव रहे सैंफई के अखाड़े में तैयार हुआ है। वहाँ उन्होंने पहलवानी के साथ ही राजनीति के पैंतरे भी सीखे। लोकसभा से मुलायम यादव ग्यारहवीं, बारहवीं, तेरहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा के सदस्य चुने गये थे।


सदस्यता


विधान परिषद 1982-1985 विधान सभा 1967, 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 (आठ बार) विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान परिषद 1982-1985 विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान सभा 1985-1987 केंद्रीय कैबिनेट मंत्री


सहकारिता और पशुपालन मंत्री 1977 रक्षा मंत्री 1996-1998 2014-2019 तक आजमगढ़ से संसद रहे 2019 में फिर मैनपुरी से संसद चुनें गये 


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पत्रकारिता जगत के पितामा को आखरी सलाम

मेजर ध्यान चंद स्पोर्ट्स कॉलेज सैफई इटावा में मनाया गया खेल दिवस

मोरबी हादसे में मरने वालों की संख्या 145, 70 घायल, 50 से ज्यादा अब भी लापता