महामारी: हजरत मुहम्मद साहब ने आज से 1400 पूर्व दी थी लोगों को हिदायत, आप भी जानिए
आवाम ए अजीज हिंदी साप्ताहिक
संपादक की कलम से
नई दिल्ली। इस्लाम मजहब के आखिरी पैगम्बर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने 1400 वर्ष पहले ही लोगों को महामारी से बचाव के तरीके बता दिए थे।
एक बार खाना-ए-काबा और ऐतराफ़ में ये वाकया आया था कि तेज बारिश के कारण पानी भर गया था। सर्दी और बारिश अत्यधिक थी तो ऐसे में अल्लाह के नबी हजरत मुहम्मद साहब ने अपने सहाबियों से ये ऐलान करवाया कि, ‘लोगों से कह दो कि वे अपनी जो फर्ज नमाज है, वो अपनी कयामगाहो में अदा करें।. सहीह बुखारी शरीफ हदीस नं. 666 में इसका उल्लेख मिलता है।
यह तो हुई सामान्य दिनों की बात, जबकि बारिश और सर्दी अधिक थी। इसके बाद बात आती है जुमे की नमाज की। इसी हदीस में आगे कहा गया है कि, ‘आज जुमे की नमाज में ‘हैया अलस्सलाह’ (आओ नमाज की ओर) नहीं कहेंगे। कहेंगे ‘अस्सलाह फ़िर्रिहाल’ (नमाज अपने घरों में पढ़ लो)। अर्थात नमाज अपने कयामगाहो में अदा करो। हजरत मुहम्मद साहब सर्दी की रातों में भी मुअज़्ज़िन को हुक्म देते थे कि, ‘लोगों से अपने घरों में नमाज अदा करने का एलान करो।’ सहीह बुखारी शरीफ हदीस नं. 668. में इसका उल्लेख मिलता है।
जब अल्लाह के नबी ने सिर्फ सर्दी और बारिश के लिए ये बात कही है तो फिर महामारी तो बड़ी आफत है।
यह भी कहा जाता है कि अल्लाह के नबी ने महामारी से बचने के लिए भी हिदायत दी थी। जब उन्होंने एक बार अपने एक साथी से कहा था कि, ‘सेहतमंद शख्स के साथ बीमार को मत बैठाओ। पैगंबर साहब के समय कुष्ठ रोग एक संक्रामक बीमारी थी। उस काल में इसका कोई इलाज नहीं था।
यह भी कहा जाता है कि अल्लाह के नबी ने एक हदीस में कहा कि, ‘तुम्हें मालूम हो कि किसी शहर में बवा (महामारी) फैली हुई है तो तुम वहां न जाओ।... और यदि तुम जिस शहर में रहते हो और उस शहर में महामारी हो तो भी तुम उस शहर को छोड़कर न जाओ। आपको यदि ऐसी बीमारी हो जाए, जिससे दूसरे इंसानों को खतरा है तो तुम खुद को बाकी लोगों से अलग कर लो।
सही बुखारी शरीफ के पार्ट 1 में सफा नंबर 122 हदीस नंबर 666 एवं सफा नंबर 123 हदीस नंबर 667 के हवाले से भी नमाज की हिदायत की बात कही जा रही है। यद्यपि, यहां समझने वाली बात यह है सभी मुसलमानों सहित मुल्क के सभी लोगों की जान हिफाजत में रहे।
कोरोनावायरस महामारी फैलने के बावजूद दिल्ली के तब्लीगी मरकज में देश-विदेश के हजारों मुस्लिम धर्मावलम्बी एकत्र होकर नमाज अदा कर रहे थे तथा उन्होंने पूरे देश में भ्रमण करके देश भर में इस महामारी का प्रसार कर दिया। ऐसे समय में अल्लाह के नबी हजरत मुहम्मद साहब द्वारा दी गई हिदायत का जिक्र प्रासंगिक हो जाता है।
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