इबादत की रात होती है शब-ए-बारात, गुनाहों से की जाती है तौबा 8 अप्रैल को रात जागी जाएगी 9 को रोजा रखा जाएगा


  1. शब-ए-बारात (Shab e Barat 2020) इस्लाम मजहब का पर्व है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार, यह इबादत की रात होती है। शब-ए-बारात पर्व 8 अप्रैल की शाम से शुरु होगा और अगले दिन यानि 9 अप्रैल की सुबह सूर्योदय तक चलेगा। और अगले दिन वह रोजा रख कर के अपने इबादत को पूरी करते हैं कहा जाता है कि शब-ए-बारात में इबादत करने वाले लोगों के सारे गुनाह माफ हो जाते हैं। इसलिए लोग शब-ए-बारात में अल्लाह की इबादत करते हैं और उनसे अपने गुनाहों को माफ करने की दुआ मांगते हैं।

  2. शब-ए-बारात का अर्थ
    मान्यता के अनुसार शब-ए-बारात को एक प्रकार से रमजान में रखे जाने वाले रोजे के लिए खुद को तैयार करना माना जाता है। यह भी मान्यता है कि इस रात लोग अल्लाह की इबादत करते हैं और अल्लाह से अपने गुनाहों की तौबा करते हैं। यहां शब से आशय रात है और बारात (बअरात) का अर्थ बरी होना है। हिजरी कैलेंडर के अनुसार, यह रात साल में एकबार शाबान महीने की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरु होती है। 

    3 ऐसे मनाया जाता है यह पर्व
    मुस्लिम मजहब के लोग इस पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। बकायदा इसकी तैयारियां की जाती हैं। घरों में तमाम प्रकार के पकवान जैसे हलवा, बिरयानी, कोरमा आदि बनाया जाता है। इबादत के बाद इसे गरीबों में बांटा जाता है। शब-ए-बारात में मस्जिदों और कब्रिस्तानों में खास तरह की सजावट की जाती है। लाइट्स लगाई जाती हैं। वहीं बुजुर्गों व अपने करीबियों की कब्रों पर जाकर अल्लाह तालाा से उनके मगफेरत की दुआ मांगते हैं और अल्लाह सेेे अपने लिए अपने परिवार के लिए दुनिया केे लि अपने मुल्क की हिफाजत के लिए सच्चाई के रास्ते पर जिंदगी भर चलने के लिए झूठ चोरी बुराई दुनिया में जो फैल रही हैं इसको बंद करने के लिए अपने मुल्क की हिफाजत केे लि और तमाम बातोंं की मगफिरत के लिए दुआ करते हैं और उनकी मगफिरत की दुआंए मांगी जाती हैं।   

  3. मुकद्दस रातों में से एक है ये रात 

  4. अरब में इस त्योहार को लैलतुन बराह या लैलतुन निसफे मीन शाबान के नाम से जाना जाता है। जबकि दक्षिणी एशियाई देशों में इसे शब-ए-बारात कहा जाता है। इस्लाम में इसे चार मुकद्दस रातों में से एक माना जाता है, जिसमें पहली आशूरा की रात, दूसरी शब-ए-मेराज, तीसरी शब-ए-बारात और चौथी शब-ए-कद्र होती है।

  5. शबे बारात के बाद यह मान लिया जाता है आज से 15 दिन के बाद से रमजान का मुकद्दस महीना शुरू हो जाता है और लोग इबादत और में लग जाते हैं इसमें सदका देना जकात देना अल्लाह की इबादत करना रोजे रखना नमाज पढ़ना तरावी पढ़ना यह सब अहम हो जाता है


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