बेटी तो आ ही गयी इस दुनियाँ में लेकिन हमारे इंतेजाम में इस दुनियाँ से कोई जा ना पाए पाये
- आवाम ए अजीज हिंदी साप्ताहिक
इटावा इटावा जिले के कोतवाली थाने में तैनात सिपाही रमाकांत नागर के घर ढोल नगाड़े बजने को थे लेकिन लॉक डाउन के दौरान उनके मंसूबे हाल फिलहाल अभी ठंडे पड़े है ,पहली बच्ची के पैदा होते ही सिपाही अपनी बच्ची को गले लगाने को तरस रहा था लेकिन फर्ज भी पूरा करना है इसलिये अरमानो को कुछ महीनों के लिये सीने में छुपा लिये, सिपाही रमाकांत नागर एटा जिले के धुमरी गाँव के रहने वाले है और इस वक्त शहर कोतवाली में तैनात है और अपनी लॉक डाउन में ड्यूटी दे रहे है 2 अप्रैल की रात को एटा से पिता जी का फोन आया बेटा मुबारक हो तू बाप बन गया,यह शब्द सुनते ही रमाकांत खुशी से झूम उठा दिल ने बोला कि चल एटा बेटी को गले लगा आये लेकिन रमाकांत को ड्यूटी देते देते ख्याल आया कि महामारी से निपटना बेटी के पैदा होने से भी ज्यादा जरूरी है मन को मनाया,जब बेटी की मोबाइल में तस्वीर आयी तो मन मन मे बच्ची की कैद उस तस्वीर को निहारता रहा है,मन में गाता रहा कि "मन डोले मेरा तन डोले मेरे दिल का गया करार रे कोन बजाये रे बांसुरिया" ड्यूटी के बीच जब बच्ची की याद आती तो पत्नी को फोन लगाकर पूँछ लेता कि बिटियन कैसी है,सड़क पर लॉक डाउन के दौरान ड्यूटी के फर्ज को भी बखूबी निभाते है लोगो से कहते है कि घर मे रहिये,सुरक्षित रहिये लॉक डाउन मत तोड़िये।
सिपाही रमाकांत को एटा में बेटी हुई। लौकडाउन की ड्यूटी छोड़ घर नहीं गए।पूछने पर कहते हैं कि "वहां तो कोई दुनिया में आ चुका है ....लेकिन यहां हम इस इंतेज़ाम में हैं कि कोई दुनिया से जाने न पाए।यह ज़्यादा बड़ी जिम्मेदारी है।"
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