बांद्रा के हालात पर उद्धव को अमित शाह ने किया फोन, कहा- ऐसी घटनाएं कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई को कमजोर करती हैं
- आवाम ए अजीज हिंदी साप्ताहिक
मुंबई के बांद्रा में प्रवासी मजदूरों के भारी संख्या में पहुंचने और उसके बाद उन मजदूरों को वहां से हटाने के लिए पुलिस की तरफ से लाठीचार्ज किए जाने की घटना सामने आने के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार की शाम को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को फोन कर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना से कोरोना के खिलाफ देश की लड़ाई कमजोर पड़ेगी। गृहमंत्री ने कहा कि प्रशासन को ऐसी घटनाएं रोकने के लिए सतर्कता की आवश्यकता है। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को अपना पूरा समर्थन दिया।
पुलिस की तितर-बितर करने के लिए किया गया लाठीचार्ज
बांद्रा में हुए लाठीचार्ज को लेकर मुंबई पुलिस के पीआरओ का कहना है कि स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने मौके पर जाकर उनसे बात की और उन्हें समझाने की कोशिश की। इस दौरान भीड़ का एक हिस्सा हिंसक हो गया इसलिए उन्हें नियंत्रित करने के लिए हल्के बल का इस्तेमाल करना पड़ा। भीड़ को तितर-बितर किया गया। पुलिस तैनात कर दी गई है और अब स्थिति सामान्य है।
महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने कहा, प्रवासी कामगारों को सीमाएं खुलने की आशा होगी
इधर, महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देखमुख का कहना है कि शहर के बांद्रा स्टेशन के बाहर एकत्र हुए सैकड़ों प्रवासी मजदूरों को संभवत: आशा रही होगी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य की सीमाओं को खोलने का आदेश देंगे। उन्होंने कहा कि पुलिस ने उन्हें (प्रवासियों का) बता दिया है कि सीमाएं नहीं खुलेंगी और स्थिति अब नियंत्रण में है। अनिल देशमुख ने कहा कि प्रवासियों को यह आश्वासन दिये जाने के बाद कि उनके रहने-खाने की व्यवस्था राज्य करेगा, भीड़ अपने-आप हट गई।
देशमुख ने कहा, ''मुंबई में दूसरे राज्यों से आए लाखों लोग काम करते हैं। उन्होंने आशा की थी कि प्रधानमंत्री आज सीमाएं खोल देंगे। उन्हें लगा कि वे अपने गृह राज्य वापस जा सकेंगे। उन्होंने कहा, ''लेकिन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री (उद्धव ठाकरे) ने लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने का बहुत सही फैसला किया है। राज्यों की सीमाएं सील रहेंगी। महाराष्ट्र से दूसरे राज्यों में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। देखमुख ने मराठी समाचार चैनल एबीपी मांझा को बताया, ''हमने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनके रहने-खाने की व्यवस्था सरकार करेगी और स्थिति अब नियंत्रण में है।"
लॉकडाउन के ऐलान के कुछ घंटे बाद ही बड़ी संख्या में सड़क पर आ गए प्रवासी मजदूर
इससे पहले, कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषणा करने के कुछ ही घंटे बाद बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर यहां मंगलवार को सड़क पर आ गए और मांग की कि उन्हें उनके मूल स्थानों को जाने के लिए परिवहन की व्यवस्था की जाए। ये सभी प्रवासी मजदूर दिहाड़ी मजदूर हैं।
कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए पिछले महीने लॉकडाउन लागू होने के बाद से दिहाड़ी मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। इससे उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि अधिकारियों और गैर-सरकारी संगठनों ने उनके भोजन की व्यवस्था की है, लेकिन उनमें से अधिकतर पाबंदियों के चलते हो रही दिक्कतों के चलते अपने मूल स्थानों को वापस जाना चाहते हैंपुलिस के एक अधिकारी के अनुसार करीब 1000 दिहाड़ी मजदूर दोपहर करीब 3 बजे रेलवे स्टेशन के पास मुंबई उपनगरीय क्षेत्र बांद्रा (पश्चिम) बस डिपो पर एकजुट हो गए और सड़क पर बैठ गए। दिहाड़ी मजदूर पास के पटेल नगरी इलाके में झुग्गी बस्तियों में किराए पर रहते हैं, वे परिवहन सुविधा की व्यवस्था की मांग कर रहे थे ताकि वे अपने मूल नगरों और गांवों को वापस जा सकें। वे मूल रूप से पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के रहने वाले हैं।
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